नई दिल्ली । पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक मामले में पति और पत्नी के बीच विवाद को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया। उच्च न्यायालय ने माना कि...

नई दिल्ली। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक मामले में पति और पत्नी के बीच विवाद को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया। उच्च न्यायालय ने माना कि पति को अपनी पत्नी की कॉल रिकॉर्ड करने का अधिकार नहीं है और ऐसा करना पत्नी की निजता का उल्लंघन है।
हाईकोर्ट के अनुसार, शादी के बाद जीवनसाथी की निजता का अधिकार नहीं छीना जाता है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बड़ा फैसला दिया है।
एक महिला ने अपनी चार साल की बेटी की कस्टडी लेने के लिए याचिका दायर की थी। महिला ने कहा कि पति ने बेटी को जबरन अपने साथ रखा। महिला के मुताबिक, इतनी कम उम्र की लड़की के लिए अपने पिता की कस्टडी रखना गैरकानूनी और गलत है।
दूसरी ओर, पति द्वारा याचिका का कड़ा विरोध किया गया कि पत्नी के पुराने व्यवहार के आधार पर माँ को बेटी की कस्टडी देना गलत होगा। इस मामले में, पति ने अदालत के समक्ष अपनी पत्नी के साथ फोन पर बातचीत के दस्तावेज भी पेश किए।
मामले की सुनवाई करते हुए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अरुण मोंगा ने कहा कि एक पति को विवाह के बाद अपनी पत्नी की व्यक्तिगत बातें रिकॉर्ड करने का अधिकार नहीं है। न्यायमूर्ति मोंगा ने अपने आदेश में कहा कि पति द्वारा उनकी जानकारी के बिना पत्नी के बयान की रिकॉर्डिंग निश्चित रूप से निजता के उल्लंघन का मामला है। उन्होंने कहा कि पति द्वारा उठाए गए इस कदम को बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जा सकता।
मामले का उल्लेख करते हुए, न्यायाधीश ने कहा कि पति ने जानबूझकर अपनी पत्नी को इस तरह की बातों में फंसाने के लिए उसे बाद में जिद्दी और नाराज साबित कर दिया। इस बातचीत की रिकॉर्डिंग को बाद में दस्तावेज़ के रूप में अदालत के सामने पेश किया गया था।
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