बांदा (डिवीएनए) । बुंदेलखंड में जल संरक्षण पर आने वाली चुनौतियों को लेकर वर्चुअल वेबिनार हुआ। विशेष वक्ता आईपीएस अधिकारी जुगुल किशोर तिवारी...

बांदा (डिवीएनए) । बुंदेलखंड में जल संरक्षण पर आने वाली चुनौतियों को लेकर वर्चुअल वेबिनार हुआ। विशेष वक्ता आईपीएस अधिकारी जुगुल किशोर तिवारी ने कहा कि बुंदेलखंड जल की विरासत में तालाब, कुआं और नदियों से संपन्न रहा है, लेकिन पहाड़ों और नदियों के खनन से जल के पारंपरिक स्रोतों में संकट आ रहा है।
उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में पहाड़ों के उत्खनन, वनों के विनाश और अत्यधिक बालू खनन में यहां की प्राकृतिक संतुलन को काफी नुकसान पहुंचाया है। समाज, सरकार और स्थानीय लोग जल संरक्षण और संवर्धन के लिए आगे आएं।
विधायक राजकरन कबीर (नरैनी) ने कहा कि तालाब, कुआं, नदियों की संस्कृति से दूर हटना और भौतिकतावादी होना बुंदेलखंड में जल संकट बढ़ा रहा है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का भी जिक्र किया।
विधायक नरेंद्र पाल (कालपी) ने कहा कि बुंदेलखंड सांस्कृतिक और पर्यटन क्षेत्र में संपन्न है। जल विरासत के लिए वह अपने कालपी क्षेत्र में अभियान चला रहे हैं। ऐसे अभियान चलाकर पूरे बुंदेलखंड को पानीदार बनाया जा सकता है।
प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि वैदिक काल से अब तक नदी-तालाबों का महत्व है। नई पीढ़ी इससे दूर हो रही है। उन्होंने जल साक्षरता अभियान आंदोलन पर जोर दिया।
पूर्व आईएएस आरएस वर्मा ने गांव-गांव में पानी पंचायत और पानी चौपाल की जरूरत बताई।
वेबिनार की अध्यक्षता कर रहे स्वामी सोमेश्वरानंद महाराज ने कहा कि पहाड़ और पेड़ ही पानी बनाने की मशीन हैं। इन दोनों को बचाना होगा। नए पेड़ लगाने होंगे। बुंदेलखंड में तभी पानी बढ़ेगा। पेड़ बचाने की मुहिम चलाने की जरूरत बताई।
वेबिनार का संचालन कर रहे शोध छात्र रामबाबू तिवारी ने कहा कि चंदेलकाल में बुंदेलखंड में चार हजार से ज्यादा तालाब थे। चरखारी (महोबा) और कालिंजर (बांदा) तालाबों के लिए विश्वविख्यात था। जमींदार और राजा आदि तालाब बनवाते थे।
उन्होंने कहा कि इस संस्कृति को बचाने और बढ़ाने की जरूरत है। मोटे अनाज उत्पादन पर भी जोर दिया।
सवांद विनोद मिश्रा