बांदा (डीवीएनए)। जायें तो जाये कहां, समझेगा कौन, यहां दर्द भरे दिल की जुबां, कुछ यही हाल जिला मुख्यालय में पटरी दुकान दारो के दिलों पर गुजर...

बांदा (डीवीएनए)। जायें तो जाये कहां, समझेगा कौन, यहां दर्द भरे दिल की जुबां, कुछ यही हाल जिला मुख्यालय में पटरी दुकान दारो के दिलों पर गुजर रहा है। वह सरकारी ठगी का शिकार हो गये हैं।
पूरा मामला बांदा नगर पालिका परिषद क्षेत्र का है। कोरोना काल में हुए सम्पूर्ण लाक डाउन से गरीब पटरी दुकानदार वा चार पहिए के ठेले से सब्जी फल बेचने वालो को प्रधान मंत्री ने नगर पालिका परिषद के माध्यम से दस-दस हजार रूपए देकर पुनः अपना रोजगार शुरू की घोषणा की। इसके तहत नगर पालिका परिषद ने सभी दुकानदारो से पचास – पचास रुपए की रसीद काटकर दी ।इसके बाद रशीद कटवाने वाले दुकानदारों को प्रमाणपत्र देने तथा आन लाइन कराने के नाम से पचास पचास रुपए वसूले। जिसकी कोई रशीद नगर पालिका ने किसी भी दुकानदार को नहीं दी साथ ही यह भी हिदायत दी गई की जब तक आन लाइन नहीं होगा तब तक कोई भी बैंक रुपया नहीं देगा ।
बांदा नगर पालिका परिषद ने सभी पटरी दुकानदारो को प्रमाणपत्र भी जरी किया गया जिसकी बेधता २०२५ तक लिखित में दी गई । मगर अभी दो महीने भी नहीं हुए बांदा नगर पालिका एक बार फिर से गरीब पटरी दुकानदारों का अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत रोजगार छीनने में अमादा है।जिसके कारण सभी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं ।
अब सवाल यह है की अगर हर बार की तरह पटरी दुकानदारों को उजाड़ा जाना निश्चित था तो पचास रु की रशीद काटकर प्रमाण पत्र में २०२५ तक की वैधता लिखित में देने का क्या औचित्य था! अब हालत यह है की दो दिनों से रिक्शे से एलाउंस कराकर सभी पटरी दुकानदारों को हटने का आदेश दिया गया है। और सभी दुकानदार अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
संवाद विनोद मिश्रा